इस दुनिया की ठंडी उलाहनाएँ
कभी कभी ठिठूरा देती हैं मुझे
फिर याद आती हैं तेरी बातें -
सर्द सुबह में मीठी धूप सी,
गुदगुदा जाती हैं।
दम घोंटती है जब उदासीनता,
आस पास नाचती नज़रो की,
तब कभी कभी गूंजा जाते हैं,
मन को - गीत तेरे मीता !
मीता - 4
मीता -3
मीता !
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