6 नवंबर 2009

मीता ! -3

ओ मीता !
तेरी यादो के गीतों से एक बोल उठाया कल
फिर गुनगुनाया कल,
दिन-ब-दिन जिसे हाथो से फिसलता पा रहा था -
उस एहसास को जी आया कल !

ओ मीता !
सपने में तेरा फ़ोन आया कल,
मैं सकपकाया कल,
गन्ने सी मीठ उस 'हेलो' को सुन,
भूला सारा खोया-पाया कल,
तर हो के आया कल !









1 टिप्पणी:

Shivdev Singh ने कहा…

bahut acha..!