24 अक्तूबर 2009

मीता !

ओ मीता !
उन गप्पो-ओ-फांको का हिसाब लगाया कल,
फ़िर पछताया कल -
वो सारे साल हम बस बतियाते क्यों नही रहे ?
क्यों किए वो आडंबर कुछ दुनिया के हिसाब का,
काम का काम करने के ?

ओ मीता -
उन लंबे सन्नाटों का जोड़ बिठाया कल,
फ़िर पछताया कल -
सन्नाटों से चुप्पियाँ तोड़ते,
क्यों नही हमने कुछ और घंटे स्वाहा किए -
सीमेंट की ठंडी बेंचो पर बैठे हुए ?




मीता - 4
मीता  -3 
मीता - 2

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